तुम्हें देखा जब से हुए है तुम्हारे उसी पल स -
24th October 2009, 12:16 AM
दोस्तों को आदाब,
आपकी इस महफिल में फिर इसी उम्मीद पर आया हूँ ......की आज तो उस ऊपर वाले को मुझ पर रहम आजाये.......
मेरे खुदा मुझको इतना अवसर तो दे.......
जिसको चाहता हूँ उसके दिल में मेरा घर कर दे ...
तुम्हें देखा जब से हुए है तुम्हारे उसी पल से तुम भी हो दिल मैं हमारे
ना हम दूर होंगे की जब तक रहेगे ज़मी पर नज़ारे गगन पर सितारे
हवा को गुलों को यह सबको खबर है
तुम्हारी नज़र पे हुम्हारी नज़र है
तुम्हें प्यार करने को दिल ने कहा था तुम्हारे इरादों का हमको पता है
तड़पकर गुजारे है मौसम बहूत से जुदाई का विष भी बहूत दिन पिया है
हवा को गुलों को यह सबको खबर है
तुम्हारी नज़र पे हुम्हारी नज़र है
रात और दिन आँखों से आसू बहाकर
कितना तडपा था रोया था बैचैन होकर
समयं के मरहम से घावों को सुखाकर
धारण किया मौन और मुख को सीकर
ना जाने कैसे यह समय बिताकर
अब पूछता हूँ मैं यह पत्र लिखकर
क्या बता सकती हो किसने कपट कर
किसको धोखा दिया था कौन था पथ पर
आज कहता हूँ इतना ही अनुरोधकर
हो सके तो मिटा दो वह हस्ताक्षर
किसने धोखा दिया वह अनुबंध तोड़कर
सीख लेने दो मुझको भी अब मुक्त होकर
आपका
विचित्र
Yeh manjilen yeh rastay mushkilo bhari yeh dager.....
Tu nahin hai mere sath to mushkilo ka hai safer......
Tham lay tu mera daman meri khushiyan nahi hai koi.....
Na meri manjil na mera karwaan na humsafer hai koi............
दोस्तों को आदाब,
आपकी इस महफिल में फिर इसी उम्मीद पर आया हूँ ......की आज तो उस ऊपर वाले को मुझ पर रहम आजाये.......
मेरे खुदा मुझको इतना अवसर तो दे.......
जिसको चाहता हूँ उसके दिल में मेरा घर कर दे ...
तुम्हें देखा जब से हुए है तुम्हारे उसी पल से तुम भी हो दिल मैं हमारे
ना हम दूर होंगे की जब तक रहेगे ज़मी पर नज़ारे गगन पर सितारे
हवा को गुलों को यह सबको खबर है
तुम्हारी नज़र पे हुम्हारी नज़र है
तुम्हें प्यार करने को दिल ने कहा था तुम्हारे इरादों का हमको पता है
तड़पकर गुजारे है मौसम बहूत से जुदाई का विष भी बहूत दिन पिया है
हवा को गुलों को यह सबको खबर है
तुम्हारी नज़र पे हुम्हारी नज़र है
रात और दिन आँखों से आसू बहाकर
कितना तडपा था रोया था बैचैन होकर
समयं के मरहम से घावों को सुखाकर
धारण किया मौन और मुख को सीकर
ना जाने कैसे यह समय बिताकर
अब पूछता हूँ मैं यह पत्र लिखकर
क्या बता सकती हो किसने कपट कर
किसको धोखा दिया था कौन था पथ पर
आज कहता हूँ इतना ही अनुरोधकर
हो सके तो मिटा दो वह हस्ताक्षर
किसने धोखा दिया वह अनुबंध तोड़कर
सीख लेने दो मुझको भी अब मुक्त होकर
आपका
विचित्र
bhaiya ji parnaam
waha waha bhiya ji kya likha hai aisay hi likhtay rahiyega ........mehfil ko
Vichiter Ji....Namashkar ! aapki poem ke ehsaas ache lage...aise hi likhte rahiye...khush rahiye...
duaaon ke saath...
aadaab naresh ji
jaan kar khushi hui ki aapko yeh poem pasand aaye .....aagahy bhi aap aisay
hi protsahit kartay rahiyega.......aapka bhout bhout shukriya...
aapka
vichitra
Yeh manjilen yeh rastay mushkilo bhari yeh dager.....
Tu nahin hai mere sath to mushkilo ka hai safer......
Tham lay tu mera daman meri khushiyan nahi hai koi.....
Na meri manjil na mera karwaan na humsafer hai koi............
kya baat hai bhaiya ji aapnay jawaab nahin diya hai kya baat hai .............
matwala chatak
janaab matwala ji dhanyavaad
aapka vichitra
Yeh manjilen yeh rastay mushkilo bhari yeh dager.....
Tu nahin hai mere sath to mushkilo ka hai safer......
Tham lay tu mera daman meri khushiyan nahi hai koi.....
Na meri manjil na mera karwaan na humsafer hai koi............
bhaiya ji humko janaab mat bolna bas hum to aisay hi aa jatay hai is sdc par aur har shayr ko padhtay hai aap hi ki tarha ek aur bhaiya say prabhavit hue hai unka naam hai kunaal bhai bhout hi achcha likhtay hai ....
bhaiya ji humko janaab mat bolna bas hum to aisay hi aa jatay hai is sdc par aur har shayr ko padhtay hai aap hi ki tarha ek aur bhaiya say prabhavit hue hai unka naam hai kunaal bhai bhout hi achcha likhtay hai ....
matwala chatak
bhai matwala ji
aapnay sach hi bola hai janaab kunaal hai hi is laayaak...sach main khood bhi unka mureed hoon ....
aapka vichitra
Yeh manjilen yeh rastay mushkilo bhari yeh dager.....
Tu nahin hai mere sath to mushkilo ka hai safer......
Tham lay tu mera daman meri khushiyan nahi hai koi.....
Na meri manjil na mera karwaan na humsafer hai koi............
दोस्तों को आदाब,
आपकी इस महफिल में फिर इसी उम्मीद पर आया हूँ ......की आज तो उस ऊपर वाले को मुझ पर रहम आजाये.......
मेरे खुदा मुझको इतना अवसर तो दे.......
जिसको चाहता हूँ उसके दिल में मेरा घर कर दे ...
तुम्हें देखा जब से हुए है तुम्हारे उसी पल से तुम भी हो दिल मैं हमारे
ना हम दूर होंगे की जब तक रहेगे ज़मी पर नज़ारे गगन पर सितारे
हवा को गुलों को यह सबको खबर है
तुम्हारी नज़र पे हुम्हारी नज़र है
तुम्हें प्यार करने को दिल ने कहा था तुम्हारे इरादों का हमको पता है
तड़पकर गुजारे है मौसम बहूत से जुदाई का विष भी बहूत दिन पिया है
हवा को गुलों को यह सबको खबर है
तुम्हारी नज़र पे हुम्हारी नज़र है
रात और दिन आँखों से आसू बहाकर
कितना तडपा था रोया था बैचैन होकर
समयं के मरहम से घावों को सुखाकर
धारण किया मौन और मुख को सीकर
ना जाने कैसे यह समय बिताकर
अब पूछता हूँ मैं यह पत्र लिखकर
क्या बता सकती हो किसने कपट कर
किसको धोखा दिया था कौन था पथ पर
आज कहता हूँ इतना ही अनुरोधकर
हो सके तो मिटा दो वह हस्ताक्षर
किसने धोखा दिया वह अनुबंध तोड़कर
सीख लेने दो मुझको भी अब मुक्त होकर
आपका
विचित्र
Yeh manjilen yeh rastay mushkilo bhari yeh dager.....
Tu nahin hai mere sath to mushkilo ka hai safer......
Tham lay tu mera daman meri khushiyan nahi hai koi.....
Na meri manjil na mera karwaan na humsafer hai koi............
Yeh manjilen yeh rastay mushkilo bhari yeh dager.....
Tu nahin hai mere sath to mushkilo ka hai safer......
Tham lay tu mera daman meri khushiyan nahi hai koi.....
Na meri manjil na mera karwaan na humsafer hai koi............