तुमने अभी उस दिन जब
मेरा हाथ पकड़ा था
कुछ पल के लिए तो
मैं भूल ही गया था की
हम दोनों अब नाजुक
सी कलियाँ नहीं रह गए
एक मजबूत और ज़िम्मेदार
वृक्ष बन गए हैं जो
चाहकर भी अपने बारे
में नहीं सोच सकते....
एक हाथ में दिल उनके एक हाथ में खंजर था
चेहरे पे दोस्त का मुखौटा अजीब सा मंजर था
तुमने अभी उस दिन जब
मेरा हाथ पकड़ा था
कुछ पल के लिए तो
मैं भूल ही गया था की
हम दोनों अब नाजुक
सी कलियाँ नहीं रह गए
एक मजबूत और ज़िम्मेदार
वृक्ष बन गए हैं जो
चाहकर भी अपने बारे
में नहीं सोच सकते....
Waahh
Bahut khoob khayaal pesh kiya arvind ji.......
Aate rahein..
Likhte rahein...
अर्ज मेरी एे खुदा क्या सुन सकेगा तू कभी
आसमां को बस इसी इक आस में तकते रहे
madhu..
तुमने अभी उस दिन जब
मेरा हाथ पकड़ा था
कुछ पल के लिए तो
मैं भूल ही गया था की
हम दोनों अब नाजुक
सी कलियाँ नहीं रह गए
एक मजबूत और ज़िम्मेदार
वृक्ष बन गए हैं जो
चाहकर भी अपने बारे
में नहीं सोच सकते....
Bahut khoob Arvind bhai - ise aur aage likhte to aur aacha lagta.
Qasid
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नाम-ए-वफ़ा की जफ़ा बताएं
क्या है ज़हन में क्या बोल जाएँ
रफ़्तार-ए-दिल अब थम सी गयी है
'क़ासिद' पर अब है टिकी निगाहें