कैसा ये देश है केसा ये कानून है! -
1st October 2007, 02:05 PM
दोस्तों बहुत पहले मैंने 'रवि रतलामी' की ये ग़ज़ल पढी थी
सोचा की आपके साथ सेर करदु....
फिर किस के लिए ये कानून है
सायद मेरे लिए हाइ ये कानून है
बने है सरे रह मंदिर मस्जिद
जहा चलने के भी कानून है
खुदा के बंदो ने छिनी वाणी
बोलने न बोलने का कानून है
मंज़िल की आस फ़िज़ूल है यहाँ
हर कदम पर कानून हाइ कानून है
क़ैद में है आफ़ताब, दोषी स्वत्रंत्र है
कैसा ये देश है केसा ये कानून है
Last edited by taqdeer.786; 1st October 2007 at 02:09 PM..
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