Sawaal -
27th January 2015, 01:40 PM
• मेरे माथे की सलवटों की कहानी लिख दूं,
कोई सवाल है जो फिर मुझे सताता है।
• वो एक हम तुझे पलक पलक बिठाया किये,
और एक तू हमें नज़र नज़र गिराता है।
• तमाम उम्र तेरा साथ ये हसरत थी मेरी,
सुना है हसरतों का तिशनगी से नाता है।
• सयाना हो तो गया हूँ पर अब भी माँ के बिना,
जब अँधेरा हो,बहुत दिल मेरा घबराता है।
• अपनी बेटी की आखों में मुझे जो शख्स दिखा,
वही दुनिया को आँख में क्यों चुभा जाता है।
• न जाने कौन बदनसीब है जो हर बात के बाद,
गए ज़माने में सिकंदर था, यही दोहराता है।
• गर उठाना ही ज़रूरी है तो कलम चुन लो,
जो भी तलवार उठाता है बहक जाता है।
• समझ के दोस्त बताये थे कभी राज़ अपने,
अब इसी बात का वो फायदा उठता है।
• तेरी शिकवे शिकायतें इसी जहान से है,
क्यों नाहक तू देवताओं को बुलाता है।
• दो कदम भी कभी जो राह पर चला न था,
हमें वो मंज़िलों की दास्ताँ सुनाता है।
• फलक तक फैल गयी है ये इंसानी फितरत,
चाँद बेबात ही तारों पे बिगड़ जाता है।
• किसी ने पूछ जो लिया की क्या ख्वाहिश है तेरी,
लो मेरा पाँव फिर चादर से निकला जाता है।
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