कहीं वीराँ कहीं मेला पड़ा है -
3rd October 2023, 07:04 PM
कहीं वीराँ कहीं मेला पड़ा है
हुआ है ऐसा, ऐसा हो रहा है |
वीराँ- निर्जन
किया है तुमको साथी ज़िंदगी का
मुक़द्दर का हसीं तारा चुना है |
मुक़द्दर- भाग्य, हसीं- सुंदर
फ़िज़ा में चाँद की बादल नहीं है
यह साइंसदानों को पक्का पता है |
फ़िज़ा- वायुमंडल, साइंसदाँ- वैज्ञानिक
लगाए जाऐं बग़ीचे में पौधे
अगर बरसात का मौसम चला है |
दिखाओ अपने अरमानों की डोली
तुम्हें भी प्यार अगर हमसे हुआ है |
मेरे क़ातिल ने मेरी बख़्श दी जान
कहा, अब मारने को ग़म तेरा है |
कहीं हम पर ख़फ़ा तो रब नहीं है
हमें परवाज़ डर लगने लगा है |
रब- भगवान्,परवाज़ -शायर का नाम
Composed by Mujeeb Parwaaz
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