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Originally Posted by Baghbaan
दोस्ती ना निभ सके तो दुश्मनी ही निभा देना
कुछ सिला मेरी वफा का यूँ ही बस दिला देना l
माना उम्मीदों के साए दुनिया में बहोत हैं
हो गिला मुझसे कोई तो मुझको भी बता देना l
दुनिया की इस भीड़ में कब आदमी तन्हा नहीं
ऐसे में खुद को कभी आईना भी दिखा देना l
सच्चे झूठे लोगों से दुनिया चलती आ रही
सच कभी छुपता नहीं, झूठों को बस भूला देना l
कुछ कसर रह जाती है “यश” खुद की ही सोच में
ज़िंदगी ग़र हो सके तो ये कसर भी मिटा देना l
(जसपाल)
baghbaan
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Bahot khoob jaspaal ji...
Hakeekat bayaan ki hai Aapne aur vo bhi badi muhabbat se..
Likhte rahiye
Salamat rahiye