क्या तुमने देखी हैं कभी आंसुओं से बहती सुबह
कभी काटा है होंठो को अपने दाँतों से
कभी नाखूनों से दीवार पे किसी का नाम लिखा है
कभी मन हुआ है जोर से रोने का
पर आवाज़ जैसे गले में दब गयी हो
कभी पैरों के नाखूनों से जमीं को कुरेदा है
कभी कड़वे लगे हैं मीठे कौर
कभी आईने पे जमी धूल पे उँगलियों से किसी का नाम लिखा है
कभी खोये हो किसी की यादों में इतना की वक़्त का पता न चला हो
कभी ढूँढा है किसी को पुरानी किताबों के पन्नों में
कभी किसी के लिखे खतों के शब्दों पे उंगलियां फिरायीं हैं
कभी गुज़ारा है कोई दिन एक ही जगह शून्य में निहारते हुए
कभी किसी को इतना याद किया है की आंसुओं की जगह लहू निकला हो
और क्या कभी हाथ फैला के खुदा से अपने लिए मौत मांगी है
अगर ये सब न किया तो तुम क्या जानो
मोहब्बत क्या होती है
दर्द क्या होता है......
एक हाथ में दिल उनके एक हाथ में खंजर था
चेहरे पे दोस्त का मुखौटा अजीब सा मंजर था
क्या तुमने देखी हैं कभी आंसुओं से बहती सुबह
कभी काटा है होंठो को अपने दाँतों से
कभी नाखूनों से दीवार पे किसी का नाम लिखा है
कभी मन हुआ है जोर से रोने का
पर आवाज़ जैसे गले में दब गयी हो
कभी पैरों के नाखूनों से जमीं को कुरेदा है
कभी कड़वे लगे हैं मीठे कौर
कभी आईने पे जमी धूल पे उँगलियों से किसी का नाम लिखा है
कभी खोये हो किसी की यादों में इतना की वक़्त का पता न चला हो
कभी ढूँढा है किसी को पुरानी किताबों के पन्नों में
कभी किसी के लिखे खतों के शब्दों पे उंगलियां फिरायीं हैं
कभी गुज़ारा है कोई दिन एक ही जगह शून्य में निहारते हुए
कभी किसी को इतना याद किया है की आंसुओं की जगह लहू निकला हो
और क्या कभी हाथ फैला के खुदा से अपने लिए मौत मांगी है
अगर ये सब न किया तो तुम क्या जानो
मोहब्बत क्या होती है
दर्द क्या होता है......
dard ka ehsaas ko aapne mohhabbat se khoob joda hai aru bhai....likhte rahiYe
Qasid
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नाम-ए-वफ़ा की जफ़ा बताएं
क्या है ज़हन में क्या बोल जाएँ
रफ़्तार-ए-दिल अब थम सी गयी है
'क़ासिद' पर अब है टिकी निगाहें
muhabbat hamesha khubsurat nhi hoti balki chamkile kagaz me lipta dard he.....kaafi tarasna padta he iske mukkamal hone ko...khub samjhaya aapne apne lafzon se...bahut hi umda! awaiting for more of ur posts!
mughe apne gam me kisi ki dakhal andazi nhi pasand k mere yar ne badi nazakat se ye tohfa nazar kiya he mughe!!
क्या तुमने देखी हैं कभी आंसुओं से बहती सुबह
कभी काटा है होंठो को अपने दाँतों से
कभी नाखूनों से दीवार पे किसी का नाम लिखा है
कभी मन हुआ है जोर से रोने का
पर आवाज़ जैसे गले में दब गयी हो
कभी पैरों के नाखूनों से जमीं को कुरेदा है
कभी कड़वे लगे हैं मीठे कौर
कभी आईने पे जमी धूल पे उँगलियों से किसी का नाम लिखा है
कभी खोये हो किसी की यादों में इतना की वक़्त का पता न चला हो
कभी ढूँढा है किसी को पुरानी किताबों के पन्नों में
कभी किसी के लिखे खतों के शब्दों पे उंगलियां फिरायीं हैं
कभी गुज़ारा है कोई दिन एक ही जगह शून्य में निहारते हुए
कभी किसी को इतना याद किया है की आंसुओं की जगह लहू निकला हो
और क्या कभी हाथ फैला के खुदा से अपने लिए मौत मांगी है
अगर ये सब न किया तो तुम क्या जानो
मोहब्बत क्या होती है
दर्द क्या होता है......
Aru bhai aadaab......... aapki ye kavita padhii.... kai kai baar padhii... aur na jaane kitne drishya aankhon me utar aaye..... wo dard kya hota hai , tadap kya hotii hai aapne bakhubii darshayaa hai apni is kavitaa me.....
bas ye dard ye dukh aapse hamesha door rahen yahi merii dil se duaa hai....
muhabbat hamesha khubsurat nhi hoti balki chamkile kagaz me lipta dard he.....kaafi tarasna padta he iske mukkamal hone ko...khub samjhaya aapne apne lafzon se...bahut hi umda! awaiting for more of ur posts!
Thanx a lot akshara jee...aapne sahi farmaya mohabbat ek.chamkeele.kaagaz mein lipte dard kee tarah hee hoti hai....yun hee meri hausla afzaai karti rahiye....
एक हाथ में दिल उनके एक हाथ में खंजर था
चेहरे पे दोस्त का मुखौटा अजीब सा मंजर था