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Registered User
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Join Date: Jan 2015
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हाँ में खुश हूँ -
6th June 2015, 01:33 PM
है मेरे बस में ज़िन्दगी, ये मैं जानता नहीं।
मेरे हाथों में है रकाब, मैं इस बात से खुश हूँ।।
तेरे चेहरे पर है ख़ुशी, ये मैं जानता नहीं।
पर चेहरे पर है नक़ाब, मैं इस बात से खुश हूँ।।
तेरे तीर-ऐ- तंज़ से नहीं मुझे रंज।
मैं तो सिर्फ तेरे अंदाज़-ऐ-बयां से खुश हूँ।
निकली है जो बात, तो क्या हश्र हो, क्या मालूम।
बात निकली है, मैं इस बात से खुश हूँ।।
आँख फिर नम थी तेरी, ग़म तेरा मालूम नहीं।
दरिया में रवानी है अभी, मैं इस बात से खुश हूँ।।
हो गए हैं अब सब गम, ज़िन्दगी पे बेअसर।
ऐ ज़िन्दगी-तू बिना जवाब के खुश है, मैं बिना ज़ुबाँ के खुश हूँ।
गिरीश
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Moderator
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Posts: 15,199
Join Date: May 2006
Location: Chandigarh (Mohali)
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6th June 2015, 04:11 PM
Quote:
Originally Posted by Girish
है मेरे बस में ज़िन्दगी, ये मैं जानता नहीं।
मेरे हाथों में है रकाब, मैं इस बात से खुश हूँ।।
तेरे चेहरे पर है ख़ुशी, ये मैं जानता नहीं।
पर चेहरे पर है नक़ाब, मैं इस बात से खुश हूँ।।
तेरे तीर-ऐ- तंज़ से नहीं मुझे रंज।
मैं तो सिर्फ तेरे अंदाज़-ऐ-बयां से खुश हूँ।
निकली है जो बात, तो क्या हश्र हो, क्या मालूम।
बात निकली है, मैं इस बात से खुश हूँ।।
आँख फिर नम थी तेरी, ग़म तेरा मालूम नहीं।
दरिया में रवानी है अभी, मैं इस बात से खुश हूँ।।
हो गए हैं अब सब गम, ज़िन्दगी पे बेअसर।
ऐ ज़िन्दगी-तू बिना जवाब के खुश है, मैं बिना ज़ुबाँ के खुश हूँ।
गिरीश
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Girish ji..........bahut khoobsurat ehsaas padne ka mokka diya aapne.
shukriya
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
.....Sunita Thakur.....
यह कह कर मेरा दुश्मन मुझे हँसते हुए छोड़ गया
....के तेरे अपने ही बहुत हैं तुझे रुलाने के लिए...
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Main shayar to nahin.....
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Posts: 2,796
Join Date: Oct 2002
Location: kanpur
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6th June 2015, 08:17 PM
Kya baat hai girish jee.....bahut khoob laga aapka andaaz...lihte rahiye..
एक हाथ में दिल उनके एक हाथ में खंजर था
चेहरे पे दोस्त का मुखौटा अजीब सा मंजर था
Arvind Saxena
Ph. No. 7905856220
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Moderator
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Posts: 5,211
Join Date: Jul 2014
Rep Power: 28
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6th June 2015, 11:56 PM
Quote:
Originally Posted by Girish
है मेरे बस में ज़िन्दगी, ये मैं जानता नहीं।
मेरे हाथों में है रकाब, मैं इस बात से खुश हूँ।।
तेरे चेहरे पर है ख़ुशी, ये मैं जानता नहीं।
पर चेहरे पर है नक़ाब, मैं इस बात से खुश हूँ।।
तेरे तीर-ऐ- तंज़ से नहीं मुझे रंज।
मैं तो सिर्फ तेरे अंदाज़-ऐ-बयां से खुश हूँ।
निकली है जो बात, तो क्या हश्र हो, क्या मालूम।
बात निकली है, मैं इस बात से खुश हूँ।।
आँख फिर नम थी तेरी, ग़म तेरा मालूम नहीं।
दरिया में रवानी है अभी, मैं इस बात से खुश हूँ।।
हो गए हैं अब सब गम, ज़िन्दगी पे बेअसर।
ऐ ज़िन्दगी-तू बिना जवाब के खुश है, मैं बिना ज़ुबाँ के खुश हूँ।
गिरीश
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Waaaaah...Bahut khoob likha hai girish jii....
likhte rahiye....
aate rahein..
अर्ज मेरी एे खुदा क्या सुन सकेगा तू कभी
आसमां को बस इसी इक आस में तकते रहे
madhu..
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~$uper M0der@tor~
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Posts: 8,417
Join Date: Feb 2006
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11th June 2015, 12:22 PM
Quote:
Originally Posted by Girish
है मेरे बस में ज़िन्दगी, ये मैं जानता नहीं।
मेरे हाथों में है रकाब, मैं इस बात से खुश हूँ।।
तेरे चेहरे पर है ख़ुशी, ये मैं जानता नहीं।
पर चेहरे पर है नक़ाब, मैं इस बात से खुश हूँ।।
तेरे तीर-ऐ- तंज़ से नहीं मुझे रंज।
मैं तो सिर्फ तेरे अंदाज़-ऐ-बयां से खुश हूँ।
निकली है जो बात, तो क्या हश्र हो, क्या मालूम।
बात निकली है, मैं इस बात से खुश हूँ।।
आँख फिर नम थी तेरी, ग़म तेरा मालूम नहीं।
दरिया में रवानी है अभी, मैं इस बात से खुश हूँ।।
हो गए हैं अब सब गम, ज़िन्दगी पे बेअसर।
ऐ ज़िन्दगी-तू बिना जवाब के खुश है, मैं बिना ज़ुबाँ के खुश हूँ।
गिरीश
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kya baat hai waaahhhhh....... bahot aalaa kalaam huaa bhai.... daad qubool karen
Shaad.....
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Posts: 410
Join Date: Nov 2014
Location: Jammu, J&K.
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11th June 2015, 01:27 PM
Quote:
Originally Posted by Girish
है मेरे बस में ज़िन्दगी, ये मैं जानता नहीं।
मेरे हाथों में है रकाब, मैं इस बात से खुश हूँ।।
तेरे चेहरे पर है ख़ुशी, ये मैं जानता नहीं।
पर चेहरे पर है नक़ाब, मैं इस बात से खुश हूँ।।
तेरे तीर-ऐ- तंज़ से नहीं मुझे रंज।
मैं तो सिर्फ तेरे अंदाज़-ऐ-बयां से खुश हूँ।
निकली है जो बात, तो क्या हश्र हो, क्या मालूम।
बात निकली है, मैं इस बात से खुश हूँ।।
आँख फिर नम थी तेरी, ग़म तेरा मालूम नहीं।
दरिया में रवानी है अभी, मैं इस बात से खुश हूँ।।
हो गए हैं अब सब गम, ज़िन्दगी पे बेअसर।
ऐ ज़िन्दगी-तू बिना जवाब के खुश है, मैं बिना ज़ुबाँ के खुश हूँ।
गिरीश
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Girish ji, bohot achha laga aapka andaaz. Ek achhi peshkash huyi hai aapki jaanib se. Likhte rahiye.
Sagar Aashna
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Qaul thae ke 'Sagar' milengae kal magar
Taareeki musalsal hai, savera nahii hota
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