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दो मिनट का मौन ही धारण कर ले -
5th February 2009, 01:34 PM
आज सुबह अखबार मे फिर छोटी सी बच्ची के साथ बलात्कार की खबर आई है.. दो चार रोज पहले भी अखबार मे बाप और उसके रिश्तेदारो ने बेटी के साथ सालो बलात्कार किया ये खबर आई... रोज छोटी छोटी बच्चियो के साथ ऐसा हो रहा है ... आखिर क्युं... मन बडा भारी हो जाता है ... आखिर कमी कहां है.. हम मे या हमारी व्यव्स्था मे....? इसी सन्दर्भ मे ......
दरिंदो ने फिर शिकार कर डाला
डेढ दो साल कि बच्ची से फिर
घोर अनाचार कर डाला...
जाने कैसा हो गया है जमाना
बाप-भाई के रिश्तो को भी
ना-पाक कर डाला ....
रोज अखबार मे सुर्खिया होती है
मासुमो के साथ बलात्कार होता है
जो जानते भी नही इसका मतलब
उन्के साथ घोर अत्याचार होता है
मै और मेरा समाज फिर भी
आंख बंद कर सोता है
अपनी कानून व्यवस्था और लोकतंत्र पर
बगैर आंसुओ के रोता है...
और हम क्या कर सकते है
क्युंकि हम आंख बंद कर सोये है
उन दरिंदो मे से कुछ के चेहरे
हमने अपनी आंखो मे छुपोये है....
हम मजबूर है अपने हालात आद्तो से
कुछ कर नही सकते
जमाना हम से बदलता है
मगर हम बदल नही सकते...
चलो जो हुई तबाह, बर्बाद
जिसने भोगी नरकीय वेदना, दर्द,
उन मासुम उन्की मासुमियत के नाम
अपनी आंखो को थोडा सा नम कर ले
चलो उन्के लिये...
दो मिनट का मौन ही धारण कर ले...
क्युंकि इससे ज्यादा हम
कुछ कर भी नही सकते....
दो मिनट का मौन ही धारण कर ले
Last edited by sumanakshar; 5th February 2009 at 01:36 PM..
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