वह कौन थी ? -
10th October 2019, 06:45 PM
देखो इस मोड़ पर ज़िन्दगी आ पहुंची, पता नहीं कब कहा कैसे
कई मोड से गुजर गए, क्या कुछ नहीं पाया क्या कुछ नहीं खोया
बार बार दिल यही सोचे, वह कौन थी ?
क्या वह कोई खुशियाली थी, बदन पे राज करती जान थी
याके फिर, अंग में छुपा कोई अंग था ........
पीछे मुड़कर कभी देखो, यादों का मंजर, यादो की बारात लेकर
कभी याद्गाश गुमशुदा थी, कभी यादोंके सायेमें हरियालीसी छाई थी
जिस्म का तो सभी को पता हैं, इसमें जान कहासे आती हैं कौन जाने
वही जिसने इसे बनाया, वहितो जानता हैं जो जिस्म में जान डालता हैं
बार बार दिल यही सोचे, वह कौन थी ?
क्या वह कोई खुशियाली थी, बदन पे राज करती जान थी
याके फिर, अंग में छुपा कोई अंग था ...........
खुशियोंका तो सभी तरफ राज हैं, दुःख और दर्द को क्यों सब भूले
बुलन्दियोंको छूते लम्हे, इससे नजाने क्यों अनजानसे रहने लगते हैं
ज़िन्दगी यहाँ कौन जीता हैं, जिस्म, जान, या फिर इसके मजे लूट ते अंग में छुपे अंग
पता नहीं, इसके पहिये कभी दौड़ते हैं, तो कभी रुक रुक कर चलते हैं
इस रफ़्तार का मालिकभि वही हैं, जो बीतिको जनता हैं, आनेवाले पलकों पहचानता हैं
बार बार दिल यही सोचे, वह कौन थी ?
क्या वह कोई खुशियाली थी, बदन पे राज करती जान थी
याके फिर, अंग में छुपा कोई अंग था ..........
दौलत और शौहरत हो तो, यह कितनी खूबसूरतसि लगने लगती हैं
न होतो, यह क्यों बोजसि लगने लगती हैं,
फिर हम उसके अहसानोको भूलने लगते हैं, जिसने हमें इससे नवाज़ा हैं
यह तो उसकी एक देंन हैं, इसे जीना ए आदमी तेरी जिंदगी हैं
बार बार दिल यही सोचे, वह कौन थी ?
क्या वह कोई खुशियाली थी, बदन पे राज करती जान थी
याके फिर, अंग में छुपा कोई अंग था .......
---- फ़िरोज़ सय्यद
Main Jindagi hoon teri,
tuzhe pata nahin.
Tum taqdir hon meri,
mujhe khabar nahin.
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