ठंडा लोहा ! ठंडा लोहा ! ठंडा लोहा ! -
9th March 2011, 11:25 PM
ठंडा लोहा ! ठंडा लोहा ! ठंडा लोहा !
मेरी दुखती रगों पर ठंडा लोहा !
मेरी स्वप्न भरी पलकों पर
मेरे गीत भरे होंठों पर
मेरी दर्द भरी आत्मा पर
स्वप्न नहीं अब
गीत नहीं अब
दर्द नहीं अब
एक पर्त ठन्डे लोहे की
मै जमकर लोहा बन जाऊं -----
हार मान लूँ -----
यह शर्त ठन्डे लोहे की
ओ मेरी आत्मा की संगिनी
तुम्हे समर्पित मेरी साँस -साँस थी लेकिन
मेरी सांसों में यम के तीखे नेजे
सा कौन अडा है ?
ठंडा लोहा !
मेरे और तुम्हारे निश्छल विश्वासों को
आज कुचलने को कौन खड़ा है ?
ठंडा लोहा !
फूलों से ,सपनों से ,आंसू और प्यार से
कौन बड़ा है ?
ठंडा लोहा !
ओ मेरी आत्मा की संगिनी !
अगर जिन्दगी की करा गे ,
कभी छटपटा कर मुझको आवाज लगाओ
और न कोई उत्तर पाओ
यही समझना कोई इसको धीरे -धीरे निगल चुका है ,
इस बस्ती में कोई दीप जलाने वाला नहीं बचा है ,
सूरज और सितारे ठन्डे
रहें सूनी
विवश हवाएं
शीश झुकाए खड़ी मौन हैं ,
बचा कौन है ?
ठंडा लोहा ! ठंडा लोहा ! ठंडा लोहा !
धरमवीर भारती
I LOVE MY INDIA
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