उम्मीद-ऐ-दिल से हर कोई बफा नहीं करता
खुवाईश-ऐ-मंज़िल से हर कोई गिला नहीं करता
निकल पड़ते है न जाने कितने ही लोग सफर-ऐ-इश्क़ की तरफ
मगर ये इश्क़-ऐ-मंज़िल हर किसी को मिला नहीं करता
उम्मीद-ऐ-दिल से हर कोई बफा नहीं करता
खुवाईश-ऐ-मंज़िल से हर कोई गिला नहीं करता
निकल पड़ते है न जाने कितने ही लोग सफर-ऐ-इश्क़ की तरफ
मगर ये इश्क़-ऐ-मंज़िल हर किसी को मिला नहीं करता
देव कुमार
Waah !!khoob kaha.............
अर्ज मेरी एे खुदा क्या सुन सकेगा तू कभी
आसमां को बस इसी इक आस में तकते रहे
madhu..
उम्मीद-ऐ-दिल से हर कोई बफा नहीं करता
खुवाईश-ऐ-मंज़िल से हर कोई गिला नहीं करता
निकल पड़ते है न जाने कितने ही लोग सफर-ऐ-इश्क़ की तरफ
मगर ये इश्क़-ऐ-मंज़िल हर किसी को मिला नहीं करता
देव कुमार
khayaal khoob hai likhte rahiYe
Qasid
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नाम-ए-वफ़ा की जफ़ा बताएं
क्या है ज़हन में क्या बोल जाएँ
रफ़्तार-ए-दिल अब थम सी गयी है
'क़ासिद' पर अब है टिकी निगाहें