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Originally Posted by ISHK EK IBADAT
चौखट पे उसकी सर को झुकाना है
आज अपने रूठे यार को मनाना है
अपने ही ख्याबों को दी तरजीह हमेशा
अब उसी की ख्वाहिशों को सजाना है
जमाने से मिली हैं सदा ही रूसवाईयाँ
उसी के इश्क को दिल में बसाना है
राहे मोहब्बत है नहीं इतनी आसां
काटों पे इसकी चलके तुझे पाना है
देखी हैं तसवीर इन आँखों ने तेरी
आँखों से इस रस को पीते जाना है
सजी है इस दिल में तेरी महफ़िल
करके तेरी बन्दगी तुझे रिझाना है
राधे राधे
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prem ras ka khoobsurat chitran
bohat sundar ................................