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Originally Posted by solankialpesh
तेरी यादों की है पड़छाई,
जिसकी हर बहार तेरी ही खुशबू से महेकाई,
तेरी कर दी जिसने मुझसे जुदाई,
हाय ! ये कैसी है बेदर्द तन्हाई।
तेरी ही बातों में खोया रेहता हुँ मैं हर पल सनम,
तेरी तसवीर को लगाके रखा है दिल से सनम,
जिंदगी की राहों में जिसने कांटो की सेज है बिछाई,
हाय ! ये कैसी है बेदर्द तन्हाई।
तेरे बिना ये दुनिया मुझे अच्छी नहीं लगती,
जो तु ना कहे वो बात हमें सच्ची नहीं लगती,
हर खुशी जिसने बेनूर है बनाई,
हाय ! ये कैसी है बेदर्द तन्हाई।
तेरी ही आवाज़ सुनाई देती है, जैसे तुने मुझको पुकारा है,
तुम मुस्कुराती हुई आई हो आई हो यही एहसास हर पल का नजारा है,
जिससे सारे मौसम में विरानी है छाई,
हाय ! ये कैसी है बेदर्द तन्हाई।
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bahut hi sundar ehsaason se sajaa hua kalaam hai Solanki ji.....
aate rahiyegaaa aur likhte rahiye
Shaad...............