ज़रा आन के मिल -
15th October 2012, 11:17 PM
ज़रा आन के मिल
मेरे गीतों की महक हो, मेरे ज़ज्बात का दिल,
शाम ढलने को है आयी, आ ज़रा आन के मिल,
जब से देखा है तुम्हे, रात में न, दिन में फ़रक,
किस जगह है यह ज़मीं, और कहां, रहता फ़लक,
मैं भंवर में ही पड़ा हूँ, कि पास है साहिल,
शाम ढलने को है आयी, आ ज़रा आन के मिल,
तेरी जुल्फों की लहर से है, हवाओं का चलन,
तेरी सांसों की महक से है, बागबां को जलन,
वो तो इन्सां भी खुदा है, जिसे तू है हासिल,
शाम ढलने को है आयी, आ ज़रा आन के मिल,
मेरे गीतों की महक हो, मेरे ज़ज्बात का दिल,
शाम ढलने को है आयी, आ ज़रा आन के मिल,
शामकुमार
Last edited by Sham Kumar; 15th October 2012 at 11:23 PM..
Reason: Because there was no space left amongst words.
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