शाम मुझको तेरे आँचल की तरह लगती है -
26th August 2014, 09:37 AM
chhutti ka din
एक मुलायम ग़ज़ल
फ़ैल जाती है मेरी रूह पे साया बनकर
शाम मुझको तेरे आँचल की तरह लगती है
ये जो इक नर्म सियाही है मेरी रातों में
वो तेरी आँख के काजल की तरह लगती है
सर्द रातों में जिसे ओढ़ लिया करता हूँ
याद तेरी मुझे कम्बल की तरह लगती है
आज फिर रात में आया था कोई ख्वाब तेरा
आज फिर आँख भी मखमल की तरह लगती है
sahaab ...23 august
Regards,
Ashwani Tyagi
akela hun magar abaad karleta hun 'veeranay'
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