लोगो का ध्यान को इस कदर गुमराह किया जाता है कि वो असल बात की वजह को समझ ही न पाये, और यदि समझ गया तो लोग रंग बदलना शुरु कर देते है, ऐसी दोहरी मानसिकता वाले लोगो की वजह से अच्छे लोगो की वफ़ादारी भी दांव पर लग जाती है.
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दोस्त बनाये नही जाते उनकी पहचान की जाती है.
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बुराई इसमे नही है कि कौन कितना बुरा है बुराई इसमे है कि कौन कितनी देर तक बुरा है.
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हर इन्सान मे कला होती है मगर वो उसे उस नज़रिये से मयस्सर नही हो पाता या वो अपने आप को उस यकीन मे पूरी तरह से समेट नही पाता, या फ़िर अपनी घर के हालातो की वजह से और जिम्मेदारी के कारण भी बहुत से हुनरमन्द अपनी कला को जगजाहिर नही कर पाते.
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