"मैं ऐसे लोगों के साथ नहीं " -
27th December 2018, 06:05 PM
जब कोई दंगा होता है
जब कोई पंगा होता है,
मेरे अपने ही लड़ते हैं
मेरे अपने ही मरते हैं ,
घर जलते हैं, नर जलते हैं
पर जलते हमारे स्वार्थ नहीं
ये तो कोई अच्छी बात नहीं
में ऐसे लोगों के साथ नहीं ,
ये गाय मुझे भी प्यारी है
माना वो माँ भी हमारी है,
माँ की खातिर, माँ डरती है
ये खेल मुझे मंजूर नहीं,
जो माँ को देते हो इज्जत
वो इज्जत बाप के पास नहीं,
ये तो कोई इन्साफ नहीं
में ऐसे लोगों के साथ नहीं,
उस बहन का कोई धर्म नहीं
उस बहन की कोई जात नहीं,
जो बहन सड़क पर चलती है
उस बहन का कोई अपराध नहीं,
वो फूल हैं अपनी खुशबु की
उसे अपने आप में महकने दो ,
मत छिड़को तेल-तेजाबों को
वो दिल हैं, उन्हें धड़कने दो,
है पुण्य यहां, क्या पाप यहां
ये सब हम तय क्यों करते हैं,
जो बस औरों का ही न्याय करे
में ऐसे लोगों के साथ नहीं,
वो राम बसा है कण-कण में
तुम मंदिर कितने बनाओगे,
जितनी मस्जिद को तोड़ोगे
उतने ही राम गिराओगे ,
न राम किसी ने देखा है
न राम किसी ने जाना है ,
राम के नाम की लूट मचाना
ये तो कोई धर्मार्थ नहीं
वो राम मेरे अंतर में हैं
वो ऐसी भीड़ के साथ नहीं,
में ऐसी भीड़ों के बीच नहीं
में ऐसे लोगों के साथ नहीं,
में प्रेम में जीता हूँ ए दिल
ये हिन्दू-मुस्लिम न सिखलाओ
मेने घर-रिश्ते-सब खोये हैं ,
अब खोने को कुछ बचा नहीं
84, 92 , 02 न दोहराओ,
मेरे अपने कुछ जिन्दा हैं
मेरे अंदर कुछ अबतक मरा नहीं,
कुछ लोग जो मुझे डराते हैं,
में अबतक उनसे डरा नहीं,
वो लोग जो घर को जलाते हैं
वो लोग जो नफरत फैलाते हैं
जिनका मानवता में हाथ नहीं
में ऐसे लोगों के साथ नहीं।
Sachh bolne ka hausla to, hum bhi rakhte haiN lekin
Anjaam sochkar, aksar khaamosh hi reh jaate haiN.
- Chaand
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