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Originally Posted by Vikrant.arsh
संग -जानी थी जो निगाहें , आज कल छलक जाती हैं
मोहमल , छोटी बड़ी सब बातों से बदल जाती हैं
कभी हम भी थे एक मजबूत पत्थर की तरह
हालात के साथ कई बातें बदल जाती हैं
मैं कब रोया था अपने दर्द से , जो आज होता
उनके चेहरे से मेरी आदतें बदल जाती हैं
हाथ मिलाना बस दोस्ती की निशानी ही नहीं
दोनों हाथों की लकीरें भी बदल जाती हैं
आती हैं नफस -ए -हुस्न मुझ तक भी बहुत
तेरी सोच के साथ वोह भी बदल जाती हैं
मुझे मैखाने में भी फ़िक्र -ए -जेब रहती है
मगर उस नाम से कवाइशें भी बदल जाती हैं
अब किसको सुनायेग अपना कलाम - ए -सुखन "अर्श "
उनके आने से महफ़िल की फरमाइशें भी बदल जाती हैं
------16 Nov 2010
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bahut hi khoob sach mai dil chu gaya daad kubool kijiye
safi