सुनहरी यादों की गज़लें गुनगुनाता रहा हूँ तेरे जाने के बाद
अपनी लिखी कविता ख़ुद को सुनाता रहा हूँ तेरे जाने के बाद
तस्वीर जो दिल बसी थी बस उसी को सजाता रहा हूँ तेरे जाने के बाद
दर्द ज़ख्मों का बहुत है पर फ़िर भी मुस्कराता रहा हूँ तेरे जाने के बाद
तुम गए तो लगा सब कुछ ख़तम हो गए
कहर बरपा इतना मनो खुदा का सितम हो गया
नही मालूम पड़ा कब इस दिल पर ज़ख्म हो गया
सरीर हिल गया आत्मा सिहिर सी गयी
सब कुछ रुक गए जिंदिगी ठहर सी गई
फिर भी ख़ुद को समझाता रहा हूँ तेरे जाने के बाद
दिल को पत्थर बनाया है
फिर भी आंसू बहता रहा हूँ तेरे जाने के बाद
सुनहरी यादों की ग़ज़लें गुनगुनाता रहा हूँ तेरे जाने के बाद ....
नींद आँखों से दूर हो गयी
मे जागा रहा
दुनिया ठहर गयी
मे फिर भी भागा रहा
सुबह मिली रात मिली
दिन मिला अँधेरा मिला
पैगाम मिले तूफ़ान मिले
हर तरह के इंसान मिले
मगर तुम न मिले
और मे आज तक भाग रहा हूँ
अपनी परछाई को तेरा साया समझ
हाथ हिलाता रहा हूँ तेरे जाने के बाद
एक दिन तुम आओगी जरूर
अपनी हर सांस को येही बताता रहा हूँ तेरे जाने के बाद ........
कभी लगता है तुम वहां हो
कभी लगता है तुम यहाँ हो
मालूम नहीं तुम कहाँ हो
यह सच है की तुमने अलग राह चुनी थी
मगर मे भी तो उस्सी रास्ते पर आता राह हूँ तेरे जाने के बाद
यह सच है की तू समशान की बुझी रख बन चुकी है
मगर मे भी तो एक मुर्दा लाश की तरह जिंदगी बिताता रहा हूँ तेरे जाने के बाद
सुनहरी यादों की ग़ज़लें गुनगुनाता रहा हूँ तेरे जाने के बाद
अपनी लिखी कविता खुद को सुनाता रहा हूँ तेरे जाने के बाद ..........
सुनहरी यादों की गज़लें गुनगुनाता रहा हूँ तेरे जाने के बाद
अपनी लिखी कविता ख़ुद को सुनाता रहा हूँ तेरे जाने के बाद
तस्वीर जो दिल बसी थी बस उसी को सजाता रहा हूँ तेरे जाने के बाद
दर्द ज़ख्मों का बहुत है पर फ़िर भी मुस्कराता रहा हूँ तेरे जाने के बाद
Wah Zahid saheb.......par is kalam ko aap dard forum me post karte to aur better hota.
Meri Moderators se request hain ke aisa koi kalam agar unko lage ke galat forum me post ho gaya hain to use correct orum me transfer kar de.
Waise mujhe lagta hain ke moderators ko agar waqt mile to jo kalam wrong sec