कुछ मेरे ख्यालों एहसास -
27th November 2016, 10:13 PM
बस ऐसे ही चंद खयालो एहसास को शेर मे तबदील करके लिखे है...उम्मीद है आप सबको पसंद आयेंगे!!
हम तमीझ-ओ-अदब मे बखुब रेहते है
जब बडे बात कर रहे हो तो चुप रेहते है
ईस मासूमियत से चेहरे पे मत जाइयेगा
ईस मुखौटे के पीछे तो कई रुप रेहते है
हमसे पुछिये के कितनी रंगीन है ये राते
हम इस खामोश तन्हाई मे खुब रेहते है
होते है बहोत ही उदास वो लोग लेकिन
मजबूरी है के हर हाल मै खुश रेहते है
यहाँ भीख माँगने से कुछ नही मिलेगा
ईस शहर मे सब के सब कंजुस रेहते है
.. Azaz AHMAD..
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