कैसी प्रथा है, इस ससांर की यारो -
24th June 2020, 09:29 AM
कैसी प्रथा है ,इस ससांर की यारो !
जो जिन्दा है उनकी चिन्ता नहीं ,
जो मर गए उनकी फिक्र है भारी ||
पता नहीं ज़िन्दगी कब तक देगी साथ ,
इस बेकदर, बेदर्द ,बेहंसी जमाने में |
देख अजीब सी रस्मे इस जमाने की ,
जिन्दा इंसान की कदर कहां यारो ,
मरने पर सजाते हैं अर्थी फूलों से ||
रोते है फिर बिलख बिलख कर ,
कैसे कटेगी तेरे बिन ये ज़िन्दगी मेरी |
सच्च तो ये है एक खुशी होती हैं दिल में ,
इस ससांर में आजादी मिलने की !
झूठे होते हैं बहते वो अश्क यारो ||
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