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Originally Posted by palulovable
wah wah kya baat hai...phir se ek khubsurat ghazal likh di aapne diwali wale din......aur aksar tyoharo pe apno ki kami khil hi jati hai chalo jaan ke acha laga apko bi kisi ki kami ab tak lagti hai asha rakhte hai next diwali tak kisi ki kami na rahe
..takecare
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ग़ज़ल को अपने अल्फाजों से नवाजने का शुक्रिया.. मुझे किसी की कमी नहीं खलती.. एक शेर याद आ गया खुद का ही..
तुमको मैं क्यूँ रखूं याद अब..
समझो की मतलबी सा हूँ मैं..
जो मुझे न याद करे मेरे लिए कुछ नहीं वो .. अब इस बात पे क्या कहूँ समझ ही नहीं आ रहा .. क्यूंकि मुझे सबसे ज्यादा बुरा वही लगता है जो मुझे मेरे अतीत से जोड़ता है.. मेरी शायरी कोई किस्सा नहीं है ।। बस शायरी है ...
कुनाल