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Originally Posted by arvindvyas
धीरे धीरे रात बढी, दिन के उजालो में
छम छम गम नाचे, दिन के उजालो में
कम कम है ज्ञान, कम कम श्रम
तम तम है नियम, तम तम संयम
गम गम भर आये, मय के प्यालो में
बड़ी बड़ी इच्छायें, जड़ ही कटायें
सूनी सूनी फिजायें, सूनी सूनी दिशायें
सन सन हवा चले, ढूंढे छेद दिवालो में
हार हार जीता, जीत जीत हारा
मन मन की कर कर, बारमबारा
क्या क्या खा गये, हम अवेध निवालो में
खन खन बाजे पैसा, तन तन कर बैठा
लख लख लाशो पर, व्यापारी बन लेटा
चम चम चमके, हम कर्म कालो कालो में
खेल खेला दिल का, इश्क कर इक्का
इश्क हुआ पक्का, रश्मो को दे धक्का
कटे कटे दिन रात, बस उनके ख्यालो में
कैसे कैसे मै लडा, होने को बडा बडा
बदल दल दल, बदल बदल मुखोडा
छुप छुप खेल खेला, कैसी कैसी खालो में
सच सच चुभ गया, दुविधायें धर गया
आशा और निराशा दे, चिंताये भर गया
लिये लिये "प्यास", फसे कैसे कैसे जंजालो में
अरविंद व्यास "प्यास"
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Bahut Sunder .. Arvind JI
AdhbhuT Rachna
Badhaaii !!!