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Originally Posted by rajveeer
मेरी तस्वीर बनाने की जो धुन है तुमको,
क्या उदासी के खदो खाल बना पाओगे?
जो मुक़्क़दर ने मेरी सिमत उछाला था कभी,
मेरे माथे पे वही जाल बना पाओगे?
सर की दल दल में धंसी आँख बना सकते हो,
आँख में फैलते पाताल बना पाओगे?
ज़िन्दगी ने जो मेरा हाल बना छोड़ा है,
मेरी तस्वीर का वो हाल बना पाओगे ?
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wahhhh kya khoob sawaal kiye hai...enka jawaab mila ki nahi abhi tak
Rajveer, aap bahut khoob likhte haiN.