ये कुछ मेरे जज्बात है जो आप सभी के रूबरू कर रही हु...गर दिल को छू जाये तो अपने ख्याल जाहिर कीजियेगा ..
छोड़ के शहर अपना परदेसी हो गए
लौटे तो घर न मिला, दोस्त अजनबी हो गए
जो करते थे हर बात पे तकरार
उनकी बातों के सिलसिले अब कम हो गए
पहुंचे जब यार की महफ़िल में
कई रिश्ते थे नए, हम पुराने हो गए
तलाश रही थी नज़रें किसी एक को
जो कल तक थे हमारे, वो किसी और के हो गए
मुद्दत से थे जो दिल में गुमान
आईना दिखा गया, हम क्या से क्या हो गए
अकेले तो हमेशा रहते थे
अब लग रहा है हम तनहा हो गए
परी