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Originally Posted by Pulkit_gupta
वो बिना बात आकर गले लग जाना भी प्यार है
कभी उनका रूठना, कभी मेरा मनाना भी प्यार है
चश्मा पहने मैं जो कभी थक कर सो जाऊं
उनका माथे पे चूमना, फिर चश्मा हटाना भी प्यार है
चोट जो मेरे लगे, और दर्द से करहाऊं
आंसू उनकी आंखों में आना भी प्यार है
मेरी तरक्की पे हो वो खुश मुझसे ज़्यादा
उनकी खुशी मेरी, मेरे गम उनके हो जाना भी प्यार है
पहन के चुपके से आना अक्सर ड्रेस नई,
ढूंढना तारीफ मुझसे कराने का बहाना भी प्यार है
जो कभी ले रही हो जिंदगी इम्तेहान सख्त
हाथ कंधे पे रख, मैं हूं ना, कह जाना भी प्यार है
गुस्से में तो लोग कह जाते हैं बातें बहुत,
मेरी खातिर कभी होंट सिल पाना भी प्यार है
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Bohot hi sach baat bataya hai aapne apne kalam se.... Pyar sirf lafz me keh jaani wali baat nahin. Bas samajh pao to pyar har ek cheez me hai.