है तो है..... -
6th October 2024, 01:55 AM
गर चांद चाह है
तो है...
मैं जमीं वो आसमां
है तो है.....
जो हो गया
सो हो गया
अब जिसने जो समझा वो
है तो है....
मेरी ज़ानिब ये इबादत
और उस नजर में गुनाह
है तो है....
फासला गहरा ही सही
उस ज़ेहन पे पहरा ही सही
गर फिर भी वो अक्ल
मेरी अक्ल से जुदा
है तो है.....
अपने ज़ेहन को पलट पाना
अब मुमकिन ही नही
ये हुदूद उस एक वुजूद से
कुछ खौफजदा
है तो है.....
कुछ दूरियां भी है
कुछ मजबूरियां भी है
कुछ हवाओं का ज़हर है
माहौल की बीमारियों का डर है
मोहलत बस देखने भर की ही सही
और वो पर्दा भी जरूरी है
इतनी बंदिशें?
और ये रंजिशें?
उसपर रोज नजर आना
आसमान साफ हो के न हो
हर हाजिरी को लगाना
है तो है....
इक जरा सी उल्फत
और उम्र भर की फजीहत
जरा संभलकर ' ए चांद '
तेरे मुक्कदर में
ये पूनम और अमावस
है तो है....
Sachh bolne ka hausla to, hum bhi rakhte haiN lekin
Anjaam sochkar, aksar khaamosh hi reh jaate haiN.
- Chaand
|