बेवफा देखो वफाई की बात करते हैं. -
12th October 2012, 09:19 PM
बेवफा देखो वफाई की बात करते हैं.
बेवफा देखो वफाई की बात करते हैं,
जैसे काफ़िर ख़ुदाई की बात करते हैं,
हाथों को बाँध कर, रंजोगम के दामन से,
कैसे बाज़िल हैं, हिनाई की बात करते हैं,
बेवफा....
जबसे है उनको यकीं, डूबे लो हम अभी डूबे,
वो निगहबान, दुहाई की बात करते हैं,
बेवफा....
जिनको कहते थे हम, ख़ुदा से भी हैं वो, बड़ करके,
वो मसीहा ही, बुराई की बात करते हैं,
बेवफा.....
कैसे ऐ दिल करूँ, मैं उनकी वफाओं का यकीं,
जो सहर शाम, जुदाई की बात करते हैं,
बेवफा...
दिल की दीवार पे, खिज़ाओं के, कीलों से ज़ख्म,
दे के दिलदार दवाई की बात करते हैं,
बेवफा....
यहाँ पत्थर के जिगर रेत के घर हैं शाकिर,
आ इस शहर से बिदाई की बात करते हैं,
बेवफा देखो वफाई की बात करते हैं,
जैसे काफ़िर ख़ुदाई की बात करते हैं,
शाम कुमार
बाज़िल = दोस्त
हिनाई = मेहँदी लगाना
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