तेज़, बहुत तेज़ में भी दौड़ सकता हूँ
पर में किसी को गिरा नहीं पाता,
बस आगे निकल जाने की चाह मे
में साम-दाम दंड-भेद नहीं अपनाता,
लक्ष्य भेदने की क्षमता में भी रखता हूँ
बस धक्का देने का हुनर नहीं आता,
में काट और छाँट नहीं सकता किसी को
बदला लेने का ये खेल मुझको नहीं भाता,
दिल तो मेरा भी धड़कता है इस बेहतरीन तमाशे को
पर खेल की आड़ मे चलता ये युद्ध मै नहीं देख पाता ,
बस इन्ही कुछ ख्यालों के चलते
में ये फुटबॉल नहीं खेल पाता।
- चाँद
Sachh bolne ka hausla to, hum bhi rakhte haiN lekin
Anjaam sochkar, aksar khaamosh hi reh jaate haiN.