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Originally Posted by solankialpesh
यह दिल बेक़रार है, बस उनका ही इंतज़ार है,
ऐसा तो नहीं की शायद येही तो प्यार है..
आँखों के आयने में बस गया है एक ही चेहरा,
जिस मंजिल पे जाके आज मेरा मन है ठेहरा,
क्यूँ आज रूप है खिला इतना निखरा-निखरा,
जैसे किसी के छूने का एक एहसास हो सुनेहरा,
पायल में झंकार है आज चूड़ी में खनकार है,
ऐसा तो नहीं की शायद येही तो प्यार है...
जिंदगी के कोरे कागज पे लब्ज़ उभर आये है ,
प्यार के नए पैगाम उडती चुनर लाये है,
होठो की रंगत होठो से कोई चुरा ले जाए है,
हमे कुछ पता नहीं , हम बस मदहोश हो जा रहे है,
मन के दरवाजे पे कोई दस्तक दे रहा बार-बार है,
ऐसा तो नहीं की शायद येही तो प्यार है..
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Waah!!Khoobsoorat.......pyar ka ehsaas hota hee aisa hai...
Likhte rahiye.....