ek bhut bhut zyada masoom si koshish bhut hi light likhe koi shyari nahi koi heavy meaning nahi bas asaan si orr ek sidhi sadhi si shyad app logon ko achichii lage purani hai per shyad pasand ayye
आँखों की शूआओं मे हम शीशे सी नज़र रखते है
जो देखना चाहता है उसे सच दिखाते है हम अपनों की इतनी तो खबर रखते है
आँखों की शूआओं मे हम दीदे-ऐ-अख्तर रखते है
दिन की तपिश मे हम दिल मे अपने छाव-ऐ-सेहर रखते है
आँखों की शूआओं मे हम अनाल्बहर रखते है
महदूद है सबके दिल मे, जलवा-ऐ-महफ़िल मे हम सब से रहगुज़र रखते है
आँखों की शूआओं मे हम शरर रखते है
अहबाब करते है यकीं , हम सबपे इतना तो असर रखते है
आँखों की शूआओं मे हम पैकर रखते है
सब के गुनाह जानते है हम पर सबकी खता मुज़मर रखते है
आँखों की शूआओं मे हम गुजिना-ऐ-गोहर रखते है
सबके लिए इस दिल में जगह है हम तो गुम्बदे-बे-दर रखते है
आँखों की शूआओं मे हम परा-ऐ -जिगर रखते है
सच कह सके हमसे हमेशा सिर्फ ऐसा सितायिश्गर रखते है
आँखों की शूआओं मे हम ऐसा गोहर रखते है
ताब-औ-तन्वा इतना है की बे-बयानी नफ्से -बे-असर रखते है
आँखों की शूआओं मे हम नज़रे -नश्तर रखते है
कह सके सब से सच, इतना तो अर्जे -हुनर रखते है
आँखों की शूआओं मे हम सब का सर-बसर रखते है
सबसे मिलते है उसकी तरह ,सब के लिए एक "वाहिद -ऐ -यासर " रखते है
आँखों की शूआओं मे हम शीशे सी नज़र रखते है