मज़बूर नहीं हम---मुहम्मदअली वफा
मज़बूर नहीं हम---मुहम्मदअली वफा मुजतर तो हो सकतेंहैं मज़बूर नहीं हम रकीब का ही दर्द हो मसरूर नहीं हम जो भी करेंगे हम यहां इखलाससे होगा ईसका नहीं शिकवा कि मश्हूर नहीं हम |
हाथ फेलादो दुआमें—मुहम्मदअली वफा
हाथ फेलादो दुआमें—मुहम्मदअली वफा बस खुदाके सामने तो तो खुद को एक बंदा रखो हाथ फेलादो दुआमें और, सजदे मे मुद्दआ रखो. मांगनेसे तो कोई क्या देगा ईस दुनियामें भला अपने रबको मनाने हर वकत बस जरिया रखो गर लिया एक भी कतरा कभी कोई गेर से तो उसे देनेके लिये दिलको भी दरिया रखो कोई पराई रोशनी से चमकता दिल नहीं अपने मनमें डूब कर जलती दिले शम्आ रखो दूश्मनों से भी निभालो वअदए एहदो वफा अपने चमनके खारको फूलसे पिन्हा रखो |
मुंह के काबिल न था__मुहम्मदअली वफा
मुंह के काबिल न था__मुहम्मदअली वफा मुंह के काबिल न था सर पे चढा रख्खा है एक पागल कुतेको घरमें बिठा रख्खा है अब करेंगे शिकवा तो अपने हंसेगे, लोगभी आपने सांपको आस्तीं में छुपा रख्खा है |
देखा नहींगया_मुहम्मदअली वफा
<p class="MsoNormal" style="text-align:center;margin:0;" align="center"><strong><span style="font-size:14pt;background:fuchsia;color:white;font-family:Mangal;" lang="HI"> देखा नहीं गया_मुहम्मदअली वफा</span></strong></p>
सच पूछिये तो ये समां देखा नहीं गया तूटा हुआ ये मयकदा देखा नहीं गया उल्झनमें है सब मंझिलें ,लूटे हुए राही मल्बे तले का रासता देखा नहीं गया वो लूटके जब चले घर बार सब अपना तूटा हुआ मेरा मकां देखा नहीं गया लौटना मुमकिन नहीं साकी तेरी कसम मुझसे सबुका तूटना देखा नहीं गया झूल्फों को हटाओ, जरा देखले कातिलको आंखो में खून है रवां देखा नहीं गया |
कारवाने वकत_मुहम्मदअली वफा
कारवाने वकत_मुहम्मदअली वफा गर हो सके तो रोक लो कारवाने वकत बहता रहा ये तोडके सब आहनी दीवार मुर्झा गये चहेरे सभी नरगीसो लालाके अब तलक है जवां ये वकत का दीदार् |
गैरकी दोहराते है क्युं ?_मुहम्मदअली वफा
गैरकी दोहराते है क्युं ?_मुहम्मदअली वफा गैरकी दोहराते है क्युं ?अपनी भी कुछ कहो ये पराई कंदीलें तो बुझ जाएगी एक दिन तारिक्यां छा जाएगी तन्हाईके राह पर गैरकी ये रोशनी ना मिल पाएगी एक दिन |
कोई पराया रहा__मुहम्मदअली वफा
कोई पराया रहा__मुहम्मदअली वफा कीसीकेभी इंतेज़ारकी गुंज़ाईश नहीं रही कोई अपनाथा कहां,न कोई पराया रहा वकत के खोल को कुछ्था निकालना अब शिकायत क्या? न कोई हमारा रहा |
मतलब नहीं पूछा__मुहम्मदअली वफा
मतलब नहीं पूछा__मुहम्मदअली वफा बहुत अच्छा हुआ कि बात का मतलब नहीं पूछा हुई तारीक आंखें रात का मतलब नहीं पूछा लगाईथी हमने तो ये सारी जिन्दगी उसपर कभी भी जीतका या हार का मतलब नहीं पूछा कभी रातों की आखो में हमने मर्सिये गाये कभी भी प्यारका दिलदारका मतलब नहीं पूछा न थे आदी सोने के नकलकी लोरियां सुन कर बरसता आंखमे बरसात का मतलब नहीं पूछा मीले तो पाक थे हम तकल्लुफ के दीबाचे से वफा न कल और आज का मतलब नहीं पूछा |
शेर—वफा अच्छा हुआ चश्मदीद गवाह नहीं रहे वरना ए झुठे ईशक्का राज़ खूल जाता |
बे दरो दीवारका घर__मुहम्मदअली
बे दरो दीवारका घर__मुहम्मदअली बे दरो दीवारका घरतो नहीं बना गालिब की हसरतें दिलमें ही रह गई दीवार के साये तले जिंदगी गुजरी दीवार गीरानेकी हिम्मत नहीं हुई |
तस्वीरका ये देखना_मुहम्मदअली वफा
तस्वीरका ये देखना_मुहम्मदअली वफा हर बारका तस्वीरका ये देखना अक्सकी तहरीरका ये देखना तदबीरकी उलझनोमें फंस गया शक भरा तकदीरका ये देखना |
आयना देखा__मुहम्मदअली वफा
आयना देखा__मुहम्मदअली वफा अपनी सुरतको यहां भी रायगां देखा अंधेरेमे पगलेने एक आयना देखा ज़मीं पर ठोकरोंकी बौछार बरसी थी मुजलीम ने रोता हुआ आस्मां देखा चमन उजरा मगर उसका साथ न छोडा लिये कांटोको अपनी गोदमें बागबां देखा करे किससे शिकवा कमाई हाथकी जो है नशेमनको हमारे नोचता महेरबां देखा नहीं देख पाया वो वफा आखरी मंझिल मुसाफिरने चल कर तो सारा जहां देखा |
शेर__वफा
ज़िंदगी की हकीकत बहुत तल्ख थी वफा होंसलों के पर उपर चारों तरफ कतरन रही |
अदा भाती नहीं-वफा
अदा भाती नहीं-वफा अब उन्हें कोई सदा भाती नहीं मोहब्बतकी निगाह भाती नही खो गएं है अपने जहांमे डूब कर बागकी गुलकी अदा भाती नहीं घेरा है आके दर्दने ईस तरह दिलतो क्या दिलरूबा भाती नहीं |
मिलना महाल है__वफा
मिलना महाल है__वफा थामे रख्खो ये हाथ, अब ये कमाल है अब जो बिछ्ड गये तो मिलना महाल है है नये सब रास्ते,और रिश्ते भी नये हैं सब नयी रस्में यहां अनजानी चाल है दुश्मन लिये खडा है नित नये आlलात कैसे करोगे सामना पूरानी सब ढाल है एक पर तो मार दी कसके मुठ्ठियां कीतने तमाचे खाऎंगे दो ही गाल है झूल्फें कहें कि बद्लियां है सब खेल दिलका सच पूछो तो क्या कहुं ? सरके ये बाल है |
Sham ke kandho pe roya khoon ke ansu suraj...
Subhan_allah Wafa Bhai jawab nahi aapka, abhi to sirf ek kalam padha hain aapka. Jab bhi waqt mila aapke sare kalam padhuga. Ho sake to hamari bhi islah kar dijiyega. |
रफाकतही रफाकत थी—मुहम्मदअली वफा
रफाकतही रफाकत थी—मुहम्मदअली वफा चली आती बरसों से पूरानी ये रिवायत थी बडा पूर जोश शिकवाथा, कडवी शिकायत थी हमारे कत्ल से भी बुझे ना आग उस दिलकी रकाबतका एक लावा था ज़हरीली अदावत थी हमारे बसमें था वो भला करके ही दिखलाया हमारी ज़िंदगी ऐसे रफाकतही रफाकत थी बचा कियाथा कि कराबत मांगती कुछ्भी तूटे बोरियेकी बच गई बस एक विरासत थी बहूत रोये ये आंखसे दरिया बह निकला तसल्ली थी कहां उनको बोले के बनावट थी |
बेच दिया है_मुहम्मदअली वफा
बेच दिया है_मुहम्मदअली वफा नक़द हो उधार उसे बेच दिया है बस सरे बाज़ार उसे बेच दिया है यकीं नहीं आता तो देखलो उनको शर्मो हया किर्दारको बेच दिया है |
ये तमन्ना है__मुहम्मदअली वफा
ये तमन्ना है__मुहम्मदअली वफा आप युं रूठे रहे, बस ये तमन्ना है मिले मौका मुझे हर दम मनानेका महोब्बतकी रही है ये रस्में जमानेसे न छोडो आपभी कोई रस्ता सतानेका 5ओगष्ट2009 |
हरगीज़ न डरेंगे_मुहम्मदअली वफा
हरगीज़ न डरेंगे_मुहम्मदअली वफा हम एक हैं,हम एक थे ,हम एक रहेंगे तलवारके सायों मेंभी हम मिलके चलेंगे तूफान , बिजलियां गिरेगी घरपे हमारे हम किसीभी बात से हरगीज़ न डरेंगे 14ओगष्ट2009 |
आंखें झुका लेते हैं__मुहम्मदअली वफा
आंखें झुका लेते हैं__मुहम्मदअली वफा आंखोसे भी ठोकर लगा देते हैं दिलमों खूनकी नद्दीयां बहा देते हैं शर्मो हयासे है मिलना उनका सामना हो तो आंखें झुका लेते हैं 16ओगष्ट2009 |
तूटती नहीं__मुहम्मदअली वफा
तूटती नहीं__मुहम्मदअली वफा दिल्की ये धडकन अब रूकती नहीं याद की शम्माएं भी बुझती नहीं. ठोकरें खाकर भी ये झंझीरे ईशक शीशेकी हो कर भी तूटती नहीं |
अपनी कबर नहीं__मुहम्मदअली वफा
अपनी कबर नहीं__मुहम्मदअली वफा किस से करे अब गिला, मिलती डगर नहीं सबकी नज़र में थे बसे ,अब क्युं नजर नहीं बांधे हुए बैठे रहे रुख्ते सफर हम तो जो गौरसे देखा यहां , राह गुजर नहीं उनका रहा कुछ मामला युं हम गरीब पर हम पर गीरी सब बिज़लियां उन पर असर नहीं न कोई बहाना रहा पहचान सके हम हम वहां पहुंचे हमें खुदकी खबर नहीं न फूल है कलियां ,बंझर ज़मींसी है गौरसे देखो वफा कहीं अपनी कबर नहीं 21 ऑगष्ट2009 |
प्यारका मसला नहीं_मुहम्मदअली वफा
प्यारका मसला नहीं_मुहम्मदअली वफा कोई भी इंतेज़ारका झघडा नहीं जुठे सच्चे प्यारका मसला नहीं पानी बन कर ज़िंदगी बहती रही में कीसी संगजारसे डरता नहीं |
गझल लबपे नहि—मुहम्मदअली वफा
गझल लबपे नहि—मुहम्मदअली वफा [B] गझल लबपे नहि दिलमें आती है [/B]होठ नहीं बस आंखे गुन गुनाती है खुद उसका हफिज़ गर लग जाये ये दिलोंमें कलेजोंमें होलियां मनाती है |
आहिस्ता चलना__मुहम्मदअली वफा
आहिस्ता चलना__मुहम्मदअली वफा दीवारों पे नवीस्ता है अहिस्ता चलना दरदका ये रिश्ता है आहिस्ता चलाना सजाया अभी उसको ताजा गुलों से दिलोंका गुलिस्तां है आहिस्ता चलना |
महोब्बतके फल लगे—मुहम्मदअली वफा
महोब्बतके फल लगे—मुहम्मदअली वफा मकसद के साथ अगराज़ शामिल हूई जबभी हासिल की तहनियो पे फितनों के फल लगे. मकसद के साथ ईखलास शामिल हुआ जब भी हासिल के दरख्तों पे महोब्बतके फल लगे |
न याद आती है_मुहम्मदअली वफा
न याद आती है_मुहम्मदअली वफा न वो कभी आतें हैं,न याद आती है धडकनें जिन्दगीकी कुछ और बाकीहै लम्हाते माज़ीके कुछ साये बस साथ है जिन्दगी उनकी शुआअओंसे गुजर जाती है. 12नवे.2009 |
बारात चलती है__मुहम्मदअली वफा
बारात चलती है__मुहम्मदअली वफा [/B] दिल पे जब तुम्हारी याद चलती है हमारे आंसुओं की बारात चलती है तुम्हारी आरजू में रात, दिन बन जाते तुम्हारे बिन ये दिन पे रात चलती है अभी अभी यहां से आप गुजरेथे शायद हवा में महेक भरी मुस्कुरा’त चलती है यहां कौन हमें तुम्हारे शहरमें पहेचाने? तुम्हारी वज़हसे तो हमारी बात चलती है तुम्हीने हमको संवारा ‘वफा’ बिगाडाभी, तुम्हींसे ज़िन्दगी ये नाशाद चलती है 3डीसे.2009 |
तवील होती है,--मुहम्मदअली वफा
तवील होती है,--मुहम्मदअली वफा रात उम्मीदकी बडी तवील होती है, कलियांऎ हासिल तो कलील होती है उलझनके दो राहे पे रुका है कारवां. होंसलों की पुख्तगी दलील होती है 7Dece.2009 |
कारवां_मुहम्मदअली वफा अब मुक़ाबिल हो गया सारा जहां कुछ रफ्ते रफ्ते बढ रहा है इम्तेहां नादार मुफलिस है हमारी हेसियत रोका है उसने क्युं हमारा कारवां 15डीसे.2009 |
सजाता चलाजा-मुहम्मदअली वफा
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सजाता चलाजा-मुहम्मदअली वफा हर एक रंग को सजाता चलाजा अपने पराये बुलाता चलाजा सुने न सुने ये है उनकी पसंद तराना महोब्बत का गाता चलाजा 23 डीसे.2009 |
सलामी देखते जाओ—मुहम्मदअली वफा
सलामी देखते जाओ—मुहम्मदअली वफा हमारे दरदकी की सारी कहानी देखते जाओ शहीदे करबलाकी जां फिशानी देखते जाओ चढा है सार नेज़े पर न छुटा हक का दामन हमारी आंखकी अश्के रवानी देख ते जाओ हुसैन ईब्ने अली थे,जिगर पारे मुहम्मद(सल.)के शहादतकी अनोखी ये सलामी देखते जाओ छुटा न हाथ से परचम कलमे शहादतका मिली ईस्लामको जिन्दा जवानी देखते जाओ वफा फातमाके लाल पे लाखो सलाम अपने ईमांकी,अज्मकी सच्ची कहानी देखते जाओ 25डीसे.2009 ****************************** कत्ले हुसेन अस्लमें मर्गे यझीद था ईस्लाम जिन्दा होता है हर करबला के बाद __मौलना मुहम्मदअली ज़ौहर |
The person with beard writes only in one thread...................:D
But i dont understand anything cuz its in hindi... Now asking for Roman english will be a impossible thing. ;) |
खुद बयां होता—मुहम्मदअली वफा
खुद बयां होता—मुहम्मदअली वफा [B] हमें जो गम है ,उसका तुम्हे थोडा गुमां होता [/B]हमारे आंसुओंमें भी तुम्हारा दर्द अयां होता सुनाते लफ्ज़ोंके खाकों में न कोई कहानीभी तुम्हारे चहेरेसे ये वाकिआ खुद बयां होता |
गुलिस्तां न मीला__मुहम्मदअली वफा
गुलिस्तां न मीला__मुहम्मदअली वफा फूल थे कागज़ी खूश्बूका दबिस्तां न मीला अपने रंग में डूबा हुआ गुलिस्तां न मीला शमां तो बूझ गई गर रात खूद जलती रही कुछ सितारोंको चमकने को सामां न मीला 13 jan..2010 |
Masha Aah Bahut khoob sahab...............:)
Bahut se ashaar aapke behad umdaa lage, abhi sab to nahi padhe hai but jab bhi waqt milenga Insha Allah Zarur padenge...........:) Aapki shayari dil jeet liya ........ Daad kabool kijiye..........:) |
Khwahish bhai
Jazkallah.Shukriyah
Talibe dooa Muhammedali Wafa |
उन पर उठी है उंगलियां_मुहम्मदअली वफा
उन पर उठी है उंगलियां_मुहम्मदअली वफा उनका हवामें तैरना महाल हो गया पानी बगैर रह न सकी मछलियां जबभी उठा कोई हाथ सचचाइ के लिये चारों तरफसे उन पर उठी है उंगलियां 18जुलाई2010 |
जवां लाशों से-(अજ્ઞાत)
कोई रोए लिपट कर जवां लाशों से ईस लिये तो वो बेटों को मां देता है (अજ્ઞાत) |
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